चीन की 1 इंच जमीन न छोड़ने और ‘खूनी संघर्ष’ की धमकी क्या भारत के लिए है?
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने के तत्काल बाद अपने राष्ट्र के नाम पहले संबोधन में बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि चीन अपने भूभाग की एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेगा और इसकी रक्षा के लिए ‘खूनी संघर्ष’ को भी तैयार है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यह धमकी दो कारणों से बेहद अहम है. पहली-चीन में दो बार की अधिकतम राष्ट्रपति रहने की समयसीमा को खत्म कर दिया गया है. इसका सीधा सा मतलब है कि शी जिनपिंग आजीवन राष्ट्रपति बने रह सकते हैं. यदि ऐसा होता है तो आधुनिक चीन के संस्थापक चेयरमैन माओत्से तुंग के बाद ऐसा करने वाले वह दूसरे चीनी राष्ट्रप्रमुख होंगे. इस दौर में जिनपिंग को वही रुतबा चीन में हासिल हो गया है, जो एक जमाने में माओत्से तुंग का रहा.
दूसरा-हाल के वर्षों में भारत के साथ चीन का सीमा विवाद लगातार मुखर होता गया है. पिछले साल तो सिक्किम क्षेत्र में डोकलाम में 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं. उस वक्त तो चीन में राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर उसने अपने रुख में नरमी बरतते हुए पीछे हटने का फैसला किया था लेकिन अब चीन में एक ताकतवर स्थायी राष्ट्रप्रमुख होने के कारण भविष्य में इस तरह की सूरतेहाल में चीन से किसी भी प्रकार की नरमी की उम्मीद नहीं की जा सकती. आखिर चेयरमैन माओ के जमाने में ही 1962 में दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ है. ऐसे में अडि़यल चीन, भारत के साथ सीमा विवाद निपटाने के लिहाज से बड़ी चुनौती हो सकती है. लिहाजा शी जिनपिंग के पास केंद्रीकृत सत्ता होने के बाद भारत के साथ सीमा विवाद और दक्षिण चीन सागर विवाद पर चीन आक्रामक रुख अख्तियार कर सकता है.
हम 170 सालों से लड़ रहे हैं: शी जिनपिंग
संसद के 18 दिन लंबे सत्र के अंतिम दिन अपने आधे घंटे के भाषण में शी ने कहा, ”चीन के लोग और चीनी राष्ट्र का साझा दृढ़ मत है कि हमारी जमीन का एक इंच भी चीन से अलग नहीं किया जा सकता है.” हालांकि शी ने किसी भी देश के साथ सीमा विवाद का जिक्र नहीं किया. चीन, भारत के साथ सीमा विवाद के अलावा पूर्वी चीन सागर के उन द्वीपों पर भी अपना हक जमाता है जो फिलहाल जापान के प्रशासनिक क्षेत्र में आते हैं. इनके अलावा दक्षिण चीन सागर में नियंत्रण को लेकर वह वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान के साथ उलझा हुआ है.