वीडियोकॉन लोन मामला : दीपक कोचर को बयान दर्ज कराने के लिए बुला सकती हैं CBI- सूत्र
नई दिल्ली : वीडियोकॉन लोन मामले में सीबीआई ने जांच तेज कर दी है. जांच एजेंसी से शनिवार को इस मामले में आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक के नोडल ऑफिसर के बयान दर्ज कर लिए हैं. सीबीआई को लोन देने के इस मामले में नोडल ऑफिसर की संलिप्तता का शक है. इसके अलावा सीबीआई कुछ दस्तावेजों की भी जांच कर रही है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार सीबीआई ICICI बैंक की सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को भी अपने बयान दर्ज कराने के लिए बुला सकती है.
3250 करोड़ रुपये के लोन का मामला
इससे पहले शनिवार सुबह कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया था कि सीबीआई ने दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. यह जांच वीडियोकॉन समूह द्वारा साल 2012 में ICICI से लिए 3250 करोड़ रुपये के लोन के संदर्भ में है. पिछले कुछ दिनों से ऐसी खबरें आ रही है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए लोन में कथित तौर पर भ्रष्टाचार किया है. इससे पहले आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष एमके शर्मा ने सीईओ चंदा कोचर के बचाव में उतरते हुए कहा था कि बोर्ड का सीईओ पर पूरा भरोसा है.
कर्ज मंजूरी के लिए आंतरिक प्रक्रिया की समीक्षा की
साथ ही एमके शर्मा ने वीडियोकॉन समूह को दिए ऋण को लेकर आरोपों को खारिज कर दिया. आपको बता दें कि वीडियोकॉन समूह को मुहैया किए गए एक कर्ज में कोचर और उनके परिवार के सदस्यों की कथित संलिप्तता की खबरें आई हैं. शर्मा ने कहा कि बैंक ने कर्ज मंजूरी के लिए अपनी आंतरिक प्रक्रिया की समीक्षा की और उन्हें मजबूत पाया. उन्होंने बताया कि बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विभिन्न अफवाहों में लगाए गए आरोपों जैसी कोई गड़बड़ी/ भाई भतीजावाद/ हितों का टकराव नहीं है. उन्होंने कहा कि बैंक और इसके शीर्ष प्रबंधन की छवि खराब करने के लिए अफवाहें फैलाई जा रही हैं.
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट में वीडियोकॉन समूह को कर्ज देने में कोचर और उनके परिवार के सदस्यों की भूमिका बताई गई थी. इन खबरों में यह भी कहा गया था कि कोचर के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के लिए शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को भेजी गई है. बैंक ने कहा, ‘बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि कथित अफवाहों में लाभ के लिए कर्ज देने या हितों के टकराव का जो आरोप लगाया गया है उसका सवाल ही नहीं उठता.
वीडियोकॉन समूह को कर्ज के बारे में बैंक ने कहा है कि यह ऋण बैंकों के गठजोड़ की व्यवस्था के तहत दिया गया था. बैंक ने कहा कि इस गठजोड़ में आईसीआईसीआई प्रमुख बैंक नहीं था. बैंक ने सिर्फ अपने हिस्से की ऋण सुविधा दी जो करीब 3,250 करोड़ रुपये बैठती है. यह अप्रैल, 2012 में गठजोड़ की कुल ऋण सुविधा का 10 प्रतिशत से भी कम बैठता है.