SC/ST एक्ट में आज सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की अपील करेगा केंद्र, दलित आंदोलन से चिंतित है सरकार
नई दिल्ली : अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम को कथित रूप से कमजोर करने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर आज सरकार जल्द सुनवाई की अपील करेगी. दलित आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार इस मामले में जल्द सुनवाई चाहती है.
सरकार ने समग्र पुनर्विचार याचिका भी दायर की
दरअसल, केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से एससी/एसटी कानून पर दिए गए अपने हालिया फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया. सरकार का कहना है कि शीर्ष न्यायालय के फैसले से इस समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के फैसले में कोई पक्षकार नहीं है और वह इस फैसले के पीछे दिए गए तर्क से ‘ससम्मान’ असहमत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले पर एक समग्र पुनर्विचार याचिका भी दायर की है.
सरकार पूरी क्षमता के साथ न्यायालय में इस पर बहस करेगी- प्रसाद
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार पूरी क्षमता के साथ सर्वोच्च न्यायालय में इस मुद्दे पर बहस करेगी. उन्होंने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए कांग्रेस पर हमला किया. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार हमेशा से उपेक्षित वर्ग के समर्थन में रही है और भाजपा ने ही देश को दलित राष्ट्रपति दिया है.
SC ने दिया था आदेश, आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करना जरूरी नहीं
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को आदेश दिया था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के अंतर्गत आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करना जरूरी नहीं होगा. प्राथमिक जांच और सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के बाद ही दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
दलित संगठनों ने किया प्रदर्शन
उल्लेखनीय है कि एससी/एसटी एक्ट को कथित तौर पर शिथिल किए जाने के विरोध में सोमवार को दलित संगठनों द्वारा किए गए राष्ट्रव्यापी बंद का असर आज (मंगलवार) भी देखा जा रहा है. कई दलित संगठन आज भी प्रदर्शन करने की बात कर रहे हैं. इससे पहले कल कई राज्यों में बंद के दौरान हुए प्रदर्शन का आम जनजीवन पर गहरा असर पड़ा. कई जगह प्रदर्शन ने हिंसक मोड़ ले लिया. इन घटनाओं में कम-से-कम 10 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए. बंद का सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल जिलों में देखा गया, जहां कई स्थानों पर भड़की हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.