ब्रिटेन स्थित रूसी दूतावास ने लंदन पर जांच रोकने का लगाया आरोप
लंदन: लंदन स्थित रूसी दूतावास ने ब्रिटेन पर आरोप लगाया कि वह अपनी सरजमीं पर रूसियों को निशाना बनाए जाने की जांच से जुड़ी सूचना को जानबूझ कर रोक रहा है. दोनों देशों के बीच जुबानी जंग जारी रहने के बीच यह बयान आया है. दूतावास ने कहा कि इसने ब्रिटिश विदेश कार्यालय से लंदन में रूसी कारोबारी निकोलई ग्लुशकोव की 12 मार्च को हुई मौत की विस्तृत सूचना मांगी थी. पोस्टमार्टम के मुताबिक 68 वर्षीय कारोबारी ने धन शोधन और धोखाधड़ी को लेकर रूस में जेल की सजा सुनाए जाने के बाद ब्रिटेन में राजनीतिक शरण ली थी.
ब्रिटेन के शहर सेलिसबरी में पूर्व डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया को जहर दिए जाने के एक हफ्ते बाद यह घटना हुई थी. ब्रिटेन ने इस हमले के लिए मास्को को जिम्मेदार ठहराया था जबकि रूस ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया है. दूतावास ने एक बयान में कहा कि मि . ग्लुशकोव की मौत के करीब एक महीने बीत चुके हैं और जैसा कि सर्गेई और यूलिया स्क्रिपल के मामले में हुआ , ब्रिटेन ने कोई सूचना मुहैया नहीं की.
हम यही कहेंगे कि हमारे बार – बार के अनुरोध के बावजूद जानबूझ कर जवाब नहीं दिया जा रहा. बयान में कहा गया है कि रूस के लिए यह हत्या आपराधिक और राजनीतिक मायने रखती है. इस बीच, इस हफ्ते स्क्रिपल के स्वास्थ्य में और सुधार देखने को मिला है.
रूस ने UN में ब्रिटेन पर साधा निशाना
रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार (6 अप्रैल) को ब्रिटेन के खिलाफ निशाना साधते हुए अमेरिकी फंतासी फिल्म ‘‘एलिस इन वंडरलैंड’’ और रूसी साहित्य का जिक्र करते हुए इंग्लैंड में पूर्व डबल एजेंट को जहर देने के आरोपों को खारिज किया. संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेंजिया ने परिषद में कहा, ‘‘यह एक तरह का बेहूदा थिएटर जैसा है. क्या आप इससे बेहतर फर्जी कहानी लेकर नहीं आ सकते थे? हमने अपने ब्रिटिश सहकर्मियों को बता दिया है कि आप आग से खेल रहे हैं और आपको इस पर पछताना पड़ेगा.’’
इंग्लैंड के सालिसबरी शहर में चार मार्च को पूर्व डबल एजेंट सर्गेइ स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया एक बेंच पर गंभीर हालत में मिले थे. ब्रिटेन ने इस हमले के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन रूस ने किसी तरह की संलिप्तता से इनकार कर दिया. ब्रिटेन ने कहा कि पूर्व जासूस पर सोवियत संघ द्वारा बनाए गए नर्व एजेंट से हमला किया गया था. इस विवाद से राजनयिकों के निष्कासन का सिलसिला शुरू हो गया और रूस तथा पश्चिमी देशों के बीच तनाव पैदा हो गया.