मोदी सरकार ने मानी नीतीश कुमार की सलाह, लिया यह बड़ा फैसला
publiclive.co.in[Edited by RANJEET]
नई दिल्ली/पटना : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया है. मोदी सरकार महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर देश के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों को विशेष माफी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसका लाभ लगभग 5000 कैदियों को मिलेगा. उन्हें जल्द ही रिहाई मिल सकती है.
ज्ञात हो कि हाल ही में दिल्ली में हुई नीति आयोग की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैदियों को क्षमादान देने का सुझाव दिया था. नीति आयोग की चौथी बैठक को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश ने कहा था कि भारत में विशेष अवसरों पर सामूहिक क्षमा की प्रथा रही है.
नीतीश कुमार के सुझाव पर अमल करते हुए मोदी सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर विभिन्न श्रेणी के कैदियों को विशेष माफी और उन्हें तीन चरणों में रिहा करने का फैसला लिया है. पहले चरण में कैदियों को इसी वर्ष दो अक्टूबर (महात्मा गांधी की जयंती) को रिहा किया जाएगा. दूसरे चरण में कैदियों को अगले वर्ष दस अप्रैल (चम्पारण सत्याग्रह की वर्षगांठ) के दिन रिहा किया जाएगा. तीसरे चरण में कैदियों को अगले वर्ष गांधी जयंती के दिन रिहा किया जाएगा.
रिहाई मिलने की शर्तें:
>>महिला कैदी जिसकी आयु 55 वर्ष या इससे अधिक हो और जिसने अपनी 50 फीसदी वास्तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो.
>>ऐसे किन्नर कैदी जिसकी आयु 55 वर्ष या इससे अधिक हो और जिसने अपनी 50 फीसदी वास्तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो.
>>ऐसे पुरुष कैदी जिसकी आयु 60 वर्ष या इससे अधिक हो और जिसने अपनी 50 फीसदी वास्तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो.
>>ऐसे दिव्यांग/शारीरिक रूप से 70 प्रतिशत या इससे अधिक अक्षमता वाले कैदी जिसने अपनी 50 फीसदी वास्तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो.
>>ऐसे दोष सिद्ध कैदी जिसने अपनी दो तिहाई (66%) वास्तविक सजा अवधि पूरी कर ली हो.
ऐसे कैदियों को विशेष माफी नहीं दी जाएगी जो मृत्युदंड की सजा काट रहे हैं या जिनकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है. इसके अलावा दहेज मृत्यु, बलात्कार, मानव तस्करी और पोटा, यूएपीए, टाडा, एफआईसीएन, पोस्को एक्ट, धन शोधन, फेमा, एनडीपीएस, भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम आदि के दोषियों को भी इसमें शामिल नहीं किया गया है.
तीन चरणों में होगी रिहाई
गृह मंत्रालय सभी पात्र कैदियों के मामलों की पहचान के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को परामर्श जारी करेगा. राज्य सरकार और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन को इन मामलों की जांच के लिए एक समिति गठिन करने की सलाह दी जाएगी. राज्य सरकार इस समिति की सिफारिशों को राज्यपाल के पास विचार और संविधान की धारा 161 के तहत मंजूरी के लिए भेजेगी. मंजूरी मिलने के बाद कैदियों को दो अक्टूबर 2018, दस अप्रैल 2019 और दो अक्टूबर 2019 को रिहा किया जाएगा.
सीएम नीतीश ने दिया था सुझाव
ज्ञात हो कि नीति आयोग की बैठक को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा था कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर हमारा सुझाव होगा कि गंभीर मामले में संलिप्त विचाराधीन कैदी और दोषसिद्ध अपराधियों को छोड़कर छोटे मामलों में सामुहिक क्षमादान देने पर विचार किया जा सकता है.
इसके अलावा नीतीश कुमार ने कहा था कि इसमें महिला और 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले कैदियों को प्रथमिकता दी जा सकती है. इसके लिए अगर कानून कोई प्रावधान करने की आवश्यक्ता है तो उसपर भी विचार किया जा सकता है.