पंजाब AAP में घमासान जारी, नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाए जाने पर सुखपाल सिंह खैरा ने दी धमकी
publiclive.co.in [EDITED BY SIDDAHARTH SINGH]
नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा घटनाक्रम पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगाते हुए पार्टी आलाकमान ने पंजाब में नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैरा को इस पद से हटा दिया है. हालांकि खैरा ने दावा किया कि राज्य के अधिकांश विधायक उनके साथ हैं, इसलिए आलाकमान को अपने निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पार्टी हाईकमान के इस फैसले से पार्टी को भारी नुकसान होगा.
बता दें कि गुरुवार को आम आदमी पार्टी हाईकमान ने पंजाब में पार्टी के वरिष्ठ नेता और विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैरा को उनके पद से हटा दिया था. उनके स्थान पर दिरबा के विधायक हरपाल सिंह चीमा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है. पिछले कुछ दिनों ने पार्टी में चल रहे घमासान के बाद पार्टी आलाकमान ने यह फैसला लिया. दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक ट्वीट करके खैरा को अपने पद से हटाने की घोषणा की. खैरा ने पिछले दिनों पंजाब इकाई के सह-अध्यक्ष बलबीर सिंह पर पार्टी में जोड़तोड़ करने के आरोप लगाए थे. खैरा ने कहा कि बलबीर सिंह पार्टी की छवि खराब कर रहे हैं.
उधर, पार्टी आलाकमान के इस फैसले पर खैरा ने आरोप लगाया कि पंजाब में आम आदमी पार्टी कांग्रेस और अकाली दल के इशारों पर काम कर रही है और यह सब इन्हीं दलों के इशारों पर हुआ है. उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा पंजाब और AAP के हित के लिए काम किया है और आगे भी काम करते रहेंगे. खैरा ने कहा कि पंजाब के लोगों के हित में वह काम करते रहेंगे और इसके लिए उन्हें किसी पद का लालच नहीं है, उल्टा वह ऐसे सौ पद भी कुर्बान कर सकते हैं.
पद से हटाए जाने के एक दिन बाद सुखपाल सिंह खैरा कुछ विधायकों के साथ मीडिया के सामने आए. उन्होंने कहा कि उनके साथ बड़ी संख्या में पार्टी नेता और विधायक हैं और सभी की अपील है कि पार्टी आलाकमान अपने फैसले पर फिर से विचार करे.
उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान ने अगर अपने फैसले पर विचार नहीं किया तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी के कुछ नेता विरोधी दलों से मिले हुए हैं और अपने हित में पार्टी की प्रतिष्ठा को दाव पर लगा रहे हैं.
‘जनमतसंग्रह 2020’ का किया था समर्थन
बता दें कि जून महीने में खैरा ने ‘जनमतसंग्रह 2020’ का समर्थन करने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था, ‘मैं ‘सिख जनमत संग्रह ..2020’ का समर्थन करता हूं क्योंकि सिखों ने जिन ज्यादतियों का सामना किया है, उनके लिए उन्हें न्याय पाने का अधिकार है.’
उनके इस समर्थन से वह कांग्रेस, बीजेपी समेत तमात विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए थे. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सिख कट्टरपंथियों के अभियान का समर्थन करके ‘अलगाववाद का समर्थन’ करने के लिए खैरा की निंदा की थी. यह अभियान सिख कट्टरपंथियों द्वारा शुरू किया था. कट्टरपंथी अलग पंजाब की मांग करते हुए जनमतसंग्रह की मांग कर रहे थे.