मध्यप्रदेश : देश की पहली ‘काउ सेंच्युरी’ के दरवाजे गायों के लिए बंद, ये है बड़ी वजह
publiclive.co.in [EDITED BY SIDDHARTH SINGH]
नई दिल्ली : राजस्थान सरकार ने 29 जुलाई 2018 को गाय सेंचुरी स्थापित करने के लिए एमओयू की घोषणा की है. लेकिन उससे पहले मध्यप्रदेश में देश की पहली गाय सेंचुरी फंड की कमी से जूझ रही है. मध्यप्रदेश के आगर जिले के सलारिया गांव में देश के पहले गाय अभ्यारण्य की स्थापना की गई थी. इस साल फरवरी में इस सेंच्युरी की स्थापना बड़े धूमधाम से की गई थी, लेकिन अब यह सेंच्युरी पैसे और कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है. सलारिया गांव में 472 हेक्टेयर में देश की पहली सेंचुरी सितंबर 2017 में शुरू हुई थी. लेकिन इस साल फरवरी से यहां गायों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है. कारण है कर्मचारियों और फंड की कमी.
यहां पर उन गायों को आसरा देने की बात कही गई थी, जिन्हें आवारा घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके अलावा इस सेंच्युरी के सहारे पेस्टीसाइट और मेडिसिन की जगह गाय के मल मूत्र के उपयोग को बढ़ावा देना भी था. यहां पर 24 शेल्टर्स में करीब 6000 गायें रखी जानी थीं, लेकिन अभी यहां पर 4120 गायें हैं. अभी से ये सेंच्युरी पर फंड की कमी से जूझ रही है. अभी जो फंड मिल रहा है, उससे एनीमल हसबेंड्री डिपार्टमेंट इन गायों को सिर्फ चारा दे पा रहा है.
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कहा जा रहा है कि इस सेंचुरी के लिए करीब 10 करोड़ रुपए के फंड की जरूरत है, लेकिन सेंच्युरी को अभी सिफ्र 4 करोड़ का फंड ही मिल रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि नए प्रोजेक्ट कहां से शुरू होंगे, जब पहले ही प्रोजेक्ट की ऐसी हालत है. सूत्रों के हवाले से मध्यप्रदेश गाय संवर्धन बोर्ड से अब डोनेशन जुटाने के लिए भी सुझाव दिया जा रहा है.
इस गाय अभ्यारण्य के डिप्टी डायरेक्टर और इंचार्ज डॉ. वीएस कोसरवाल भी यहां पर फंड की कमी की बात मानते हैं. उनका कहना है कि हमने इस फरवरी से यहां पर गायों की एंट्री देने पर रोक लगा दी है. इस क्षेत्र के एसडीएम ने इनके ट्रांसपोर्टेशन पर रोक लगा दी है. इस सेंचुरी की शुरुआत के बाद प्रदेश के वित्त विभाग को गाय संवर्धन बोर्ड ने 22 करोड़ का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन विभाग ने उसे नकार दिया. इसके बाद 14 करोड़ का दूसरा प्रस्ताव भेजा गया. उसे भी रिजेक्ट कर दिया गया.
सेंचुरी की अपनी कोई आय नहीं
इस सेंचुरी की अपनी कोई आय नहीं है. यहां पर ज्यादातर बूढ़ी और ऐसी गाएं हैं, जिन्होंने दूध देना बंद कर दिया है. यहां पर तीन बायोगेस प्लांट हैं, जिनसे इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न होती है. मध्यप्रदेश के पशु पालन मंत्री अंतर सिंह आर्य का कहना है कि इस अभ्यारण्य के लिए आ रही फंड की कमी का मामला हमने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने उठाया है. उन्होंने कहा है कि फंड जल्द जारी कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, सरकार इस सेंचुरी के मैनेजमेंट को एनजीओ के हवाले करने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है.