वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे: इंजेक्शन के असुरक्षित इस्तेमाल से बढ़ रहे हेपेटाइटिस के मामले- WHO
publiclive.co.in [EDITED BY SIDDHARTH SINGH]
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में 33 फीसदी हेपेटाइटिस-बी संक्रमण और 42 फीसदी हेपेटाइटिस-सी संक्रमण के लिए असुरक्षित इंजेक्शन जिम्मेदार है. भारत भी उन देशों में शामिल है, जहां इंजेक्शन का असुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में यह गंभीर चिंता का विषय है. यह जानकर हैरानी होगी कि देश के बहुत से अस्पताल और क्लिनिक आज भी एक ही सीरिंज का दोबारा इस्तेमाल कर रहे हैं. एक ही सीरिंज का बार-बार प्रयोग हेपेटाइटिस की बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है. हेपेटाइटिस के मामलों को रोकने के लिए एक इंजेक्शन का एक ही बार इस्तेमाल होना बहुत जरूरी है.
सरकारों को इस ओर तवज्जो देनी चाहिए कि इंजेक्शन में ऑटो डिसेबल (एडी) सिरिंज का इस्तेमाल हो. क्योंकि एडी सिरिंज का दोबारा प्रयोग नहीं किया जा सकता. एडी सिरिंज के बारे में सर गंगाराम हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डॉ. अनिल अरोड़ा कहते हैं, ‘एडी सिरिंज में ऐसी व्यवस्था है जिससे सिरिंज का प्लंगर लॉक हो जाता है या टूट जाता है. इस वजह से एडी का दोबारा प्रयोग नहीं किया जा सकता. विश्व हेपेटाइिटस दिवस के मौके पर राज्यों की सरकारों को सभी क्लिनिकों व अस्पतालों में एडी सिरिंज का इस्तेमाल अनिवार्य करना चाहिए. ताकि देश में इंजेक्शन से होने वाले हेपेटाइिटस के मामलों को रोका जा सके’.
वायरल हेपेटाइटिस का खून की जांच द्वारा पता चलता है. आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करता है. जिससे एंटीबॉयोडिज उत्पन्न होते है. इसी कारण खून की जांच में वायरस होने का पता चलता है. मेदांता द मेडिसिटी के पेड्रियॉट्रिक, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपटोलॉजी की निदेशक डॉ नीलम मोहन ने कहा, ‘हेपेटाइटिस बी मां से बच्चे को जन्म के दौरान हो सकता है. यह रक्तदान, सुई का साझा इस्तेमाल (खासतौर से ड्रग लेने वाले लोगों में), ब्लेड का दोबारा प्रयोग करने और यौन संपर्क से भी हो सकता है. हेल्थकेयर वर्करों के बीच खासतौर से नीडल स्टिक चोटों के कारण हेपेटाइटिस होने का खतरा बना रहता है’.
हेपेटाइटिस की बीमारी में लीवर की कोशिकाओं में सूजन आ जाती है. अगर इस बीमारी का समय पर इलाज न किया जाए तो लीवर कैंसर और लीवर फेल्यर रिस्क बहुत ज्यादा रहता है. हेपेटाइटिस की रोकथाम पर बात करते हुए डॉ मोहन ने कहा, ‘इस बीमारी की रोकथाम के लिए लोग संक्रमित सुई का प्रयोग न करें, असुरक्षित यौन संबंध बनाने से बचें और नीडल स्टिक चोटों से बचना जरूरी है. वैसे हेपेटाइटिस को रोकने के लिए टीकाकरण बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. भारत में भी हेपेटाइटिस रोकने के लिए इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में जोड़ा गया है’. भारत में 4 से 5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी बीमारी से ग्रस्त हैं.