डर के मारे चीख नहीं, हंसी निकलवाएगी राजकुमार-श्रद्धा की ये ‘स्त्री’
publicllive.co.in [EDITED BY SIDDHARTH SINGH]
नई दिल्ली: अगस्त महीने के आखिरी दिन बॉक्स ऑफिस पर दो कॉमेडी फिल्में एक साथ रिलीज हुई हैं. कॉमेडी फिल्मों की बॉलीवुड में सफलता की गारंटी काफी हद तक रहती है और बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड देखें तो कॉमेडी और हॉरर का तड़का बॉक्स ऑफिस पर अक्सर दर्शकों को पसंद आता है. ऐसे में इस हफ्ते हॉरर-कॉमेडी की कॉकटेल लेकर आए हैं निर्देशक अमर कौशिक, जिसमें राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी जैसे मंझे हुए कलाकारों की जोड़ी फिर से साथ नजर आ रही है. दिलचस्प है कि यह फिल्म शुक्रवार को राजकुमार राव के जन्मदिन के दिन ही रिलीज हुई है. अगर आप इस हफ्ते अपना वीकेंड प्लान बना रहे हैं तो मैं यह जरूर कह सकती हूं कि यह फिल्म आपके प्लान में जरूर शामिल होनी चाहिए.
कहानी: ‘स्त्री’ कहानी है चंदेरी शहर की, जहां लगभग हर घर के बाहर लिखा रहता है ‘ओ स्त्री कल आना’. दरअसल इस शहर में हर साल चार दिनों देवी की पूजा का महापर्व होता है और इन्हीं चार दिनों में यहां एक स्त्री का भूत आता है जो शहर के मर्दों को उठाकर ले जाती है और उनके सिर्फ कपड़े बचे छोड़ती है. इसी स्त्री के डर के चलते चार दिनों तक यहां का हर मर्द रात में घर से निकलने से डरता है. इसी शहर में है विक्की (राजकुमार राव) जो एक दर्जी है. विक्की अपने काम में इतना हुनरमंद है कि वह महिलाओं को देखकर ही उनका नाप ले लेता है और उसे चंदेरी का मनीष मल्होत्रा कहा जाता है. इसी विक्की को एक ऐसी लड़की (श्रद्धा कपूर) मिलती है जो सिर्फ इन्हीं पूजा के चार दिनों में इस गांव में आती है. अब इस गांव से इस स्त्री का साया हटता है या नहीं, या यहां के मर्दो को स्त्री से कोई बचा पाएगा या नहीं यह देखने के लिए आपको सिनेमाघरों तक जाना होगा.
रिव्यू: यह फिल्म विचित्र लेकिन असली घटना पर आधारित है. फिल्म के पहले सीन से ही आपको इसके हॉरर अंदाज का लुत्फ आने लगेगा. लेकिन एक स्त्री की आत्मा के डरते मर्दों के यह झुंड आपको जबरदस्त तरीके से हंसाएंगे भी. अक्सर हॉरर-कॉमेडी फिल्मों में दर्शकों को हंसाने और डराने के घालमेल में लॉजिक जैसा कुछ नहीं होता. लेकिन इस फिल्म की सबसे बड़ी सफलता है कि यह एक दमदार विषय को मजेदार तरीके से दिखा रही है. महिलाओं की इज्जत करने और उनकी मर्जी के सम्मान जैसे विषय को इस फिल्म में हंसाते-हंसाते भी काफी सटीकता से दिखाया गया है. फिल्म कहीं भी अपने विषय और लाइन से भटकी नहीं है, जो अच्छी बात है.