एक एसा शहर जिससे लोग आज भी अनजान है !
publiclive.co.in[written byबालु राम यादव,Edited by दिव्या सचान]
जोबनेर ढूंढाड़ अंचल का एक प्राचीन क़स्बा है। यह जयपुर से 45 किमी पश्चिम में है। जोबनेर का पौराणिक सम्बंध राजा ययाति से माना गया है। कहा जाता है कि यह नगर ययाति ने बसाया था
जिसको शिक्षा और धर्म दोनों के लिए प्रसिद्धी मिली है। जोबनेर शहर में शिक्षा की बात करे तो यहाँ सन 1947 में रावल नरेंद्र सिंह ने कृषि महाविद्यालय स्थापित किया जिसका नाम “श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि महाविद्यालय” रखा गया था, यह देश का पहला कृषि महाविद्यालय है। सन् 2013 में इसको विश्वविद्यालय में स्थापित कर दिया।
ज्वालामाता का प्राचीन मंदिर : जोबनेर के विशाल पर्वत पर ज्वालामाता का प्राचीन मंदिर एवं प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। ज्वाला माता मन्दिर की स्थापना चौहान काल में वर्ष 1286 में हुई। कहा जाता है कि जगमाल पुत्र खंगार जोबनेर के वीर शासक थे। जनश्रृति है कि ज्वाला माता ने राव खंगार की जोबनेर पर आधिपत्य करने में अप्रत्यक्ष मदद की थी और उन्ही राव खंगार को ज्वाला माता ने सपने में आकर बडा मण्डप बनाने व मेला भराने का आदेश दिया। ज्वाला माता जो जोबनेर के पर्वत के बीचोबीच ह्रदय में स्थित है, यह सफेद संगमरमर से बना भव्य मन्दिर बहुत ही आकर्षक लगता है जो दुर से ही दिखाई दे जाता है। यहाँ हर साल हजारो भगत आते हैं। जोबनेर ज्वाला माता का मैला नवरात्री में भरता है, नवरात्री में यहाँ चारों तरफ श्रद्धालुऔं का सैलाब नजर आता है।