Friday, June 9, 2023
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राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला, अंतरजातीय विवाह करने पर मिलेगें 10 लाख रुपये..

राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला, अंतरजातीय विवाह करने पर मिलेगें 10 लाख रुपये..

जयपुर : सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजस्थान में गहलोत सरकार ने अंतरजातीय विवाह के लिए प्रोत्साहन राशि को दोगुना करके 10 लाख रुपये करने की घोषणा की है। विवाह बंधन में बंधने वाले अंतरजातीय जोड़ों को तत्काल प्रभाव से अब 10 लाख रुपये मिलेंगे, जो पहले के 5 लाख रुपये के प्रोत्साहन से अधिक है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में 2023-24 के बजट में इसकी घोषणा की थी, जिसके बाद गुरुवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से अधिसूचना जारी की गई।

बता दें कि सरकार की ओर से इस राशि के तहत 5 लाख रुपए 8 साल के लिए फिकस्ड डिपोजिट कराए जाएंगे और इसके बाद बाकी 5 लाख रुपए संयुक्त रूप से बैंक खाते में जमा करवाए जाएंगे.

2006 में शुरू की गई योजना

संशोधित डॉ. सविता बेन अम्बेडकर अंतरजातीय विवाह योजना के तहत 5 लाख रुपये आठ साल के लिए सावधि जमा में रखे जाएंगे, जबकि शेष 5 लाख रुपये नवविवाहितों के संयुक्त बैंक खाते में जमा किए जाएंगे। 2006 में शुरू की गई यह योजना शुरू में 50,000 रुपये प्रदान की गई थी जिसे बाद में अप्रैल 2013 में बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया था।

वहीं योजना के तहत आर्थिक लाभ उन्हें मिलता है जिनकी उम्र 35 साल से कम हो. अन्तर्जातीय विवाह योजना के लिए प्रोत्साहन राशि का लाभ पाने के लिए कोई भी विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकता है जहां योजना की विस्तृत जानकारी और आवेदन पत्र उपलब्ध है.

कौन कर सकता है आवेदन ?

अगर अनुसूचित जाति वर्ग के युवक और युवती किसी सवर्ण हिन्दू युवक और युवती से शादी करता है तो वही इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. वहीं इसके साथ ही दोनों युवक और युवती को राजस्थान का निवासी होना अनिवार्य है और दोनों में से किसी की भी उम्र 35 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए.

बता दें कि योजना के अंदर दी जाने वाली राशि लेने के लिए अंतरजातीय विवाह करने वाले युगल के पास विवाह के प्रमाण स्वरूप सक्षम प्राधिकरण या अधिकारी कार्यालय से जारी विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र होना जरूरी है. वहीं युगल की संयुक्त रूप से इनकम 2.50 लाख रुपए से कम होनी चाहिए.

केंद्र भी योजना को देती है निधि

केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से इस योजना को निधि देती हैं, जिसमें राज्य का 75 प्रतिशत का योगदान होता है और केंद्र शेष 25 प्रतिशत को कवर करता है। पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने इस योजना के तहत 33.55 करोड़ रुपये और चालू वर्ष में 4.5 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए।

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