हवाई नेता, हवाई बातें… – Pradesh Live
😊अगिया बेताल😊
क़मर सिद्दीक़ी
अपने नेता के संकट काल से दो चार होने को लेकर,आज फ़िर पीसीसी में एक प्रेस वार्ता का आयोजन हुआ। इसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख़्यमंत्री पृथ्वीराज चौहाण, प्रदेश प्रभारी, अग्रवाल,और प्रदेश के हवाई नेता,पचौरी जी ने अपना पक्ष रखा।
लब्बोलुआब ये कि, इस सरकार ने तानाशाही अख़्तियार कर रखी है। सवाल ये कि, आख़िर सीखा किस्से? ये आपातकाल,आईटी,ईडी, सीबीआई इनका सदुपयोग कैसे किया जाता है, ये मार्ग दिखाया किसने। बस इतना ही फ़र्क़ है कि,पहले थोड़ा ढके-छिपे काम होता था, अब खुला खेल फर्रुक़ाबादी चल रहा है। ख़ैर इस सब बातों के बीच पचौरी जी ने भी अपनी बात बड़ी दृढ़ता से रखी। वो बार2 जनता के बीच जा कर संघर्ष की दुहाई दे रहे थे,पर उनका रेकॉर्ड ये है कि,आज तक पार्षदी का चुनाव भी नहीं जीत सके। लेकिन कहते हैं कि,मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी,और क़िस्मत हो तो पचौरी जी जैसी। संगठन अध्यक्ष,सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक् ष,केंद्रीय मंत्री,गोया सारे मज़े लूट लिए! पुराना गाना है,”आज कल पाओं ज़मीं पर नही नहीं पड़ते मेरे,बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए। हां देखा है न पचौरी जी को सियासत के आसमां में उड़ते हुए।
न किसी पत्रकार साथी ने सवाल किया,और ख़ैर नेताओं को बताने में दिलचस्पी भी नहीं थी कि,आख़िर राहुल बाबा ने अपनी सज़ा के विरुद्ध ऊपरी कोर्ट में अब तक अपील क्यों नहीं की?
सूपा बोले तो बोले,छलनी भी,जिसमें 72 छेद
भोपाल के एक कांग्रेसी नेता ने अपने घर से अपनी नेम प्लेट निकाल कर राहुल बाबा के नाम वाली चस्पा कर दी। हर सियासी व्यक्ति लाइम लाइट में रहना चाहता है।
मिश्रा जी को बड़ा नागवार गुज़रा। फौरन बोल उठे,ये तो चाटुकारिता है। अरे जनाब चाटुकारिता किसे कहते हैं,आपके दल के लोगों से बेहतर कौन जान सकता है! कहीं कोई काम सफल हो जाए,किसी के भी पुरुषार्थ से हुआ है,फौरन “साहेब” को क्रेडिट दे दिया जाता है,और जहां नाकामी हो,वहां स्थानीय नेताओं पर ठीकरा फूटता है। जब कोई छुटभैया नेता ये कहता है कि,जब से साहेब ने चार्ज लिया है,भारत को लोग जानने लगे,वरना इसके पहले तो हमारी कोई औक़ात ही नहीं थी,तो इसे चाटुकारिता कहा जाएगा,या मानसिक असंतुलन?
सब से बड़ी बात ये है कि,आप इतने बड़े ओहदे पर विराजमान हो,अपना नहीं तो कम से कम अपने ओहदे का तो लेहाज़ कर लिया करो। हर छोटे से छोटे मुद्दे पर प्रतिक्रिया देना! लगता है जैसे पार्टी में प्रवक्ताओं का टोटा पड़ गया है।
अभी तो शुरुआत है
जैसे कि,विशेषज्ञों ने आशंका ज़ाहिर की थी कि,लाडली बहना का एक हज़ार,लाडले भाइयों पर भारी पड़ेगा,वह धीरे2 सामने आने लगा है। डेरी उत्पाद,खाद्य तेल के बाद अब बिजली की दरों में इज़ाफ़ा कर दिया गया है,जबकि योजना के फार्म भरने अभी शुफ ही हुए हैं। ये भी शिकायतें मिल रहीं हैं कि,शर्तों के फंदे से निकलने के लिए बहनों ने समग्र आईडी में हेर फेर करवाना भी शुरू कर दिया है,लेहाज़ा आंगनबाड़ी के साथ2 निगम वार्ड कार्यालयों में भी चिल-पों मची हुई है। अधिकारियों से इस बावत सवाल करने पर वो बड़े ही भोलेपन के साथ जवाब देते हैं कि,आईडी में करेक्शन एक सतत प्रक्रिया है।
मेंढकी को भी ज़ुखाम!
समाजवादी पार्टी संगठन ने दावा किया है कि,वो सूबे की चुनावी सियासत में तीसरी ताक़त के रूप में अपने आप को स्थापित करने जा रही है। तो फिर क्या “आप”वाले यहां घुइयां छीलने के लिए एड़ी-छोटी का जोर लगाए हुए हैं? उन्होंने तो अपने शीर्ष नेतृत्व से लेकर,तमाम बड़े नेताओं को मैदान में उतार रखा है। दो प्रदेश में सरकारें हैं,गुजरात में विधायक हैं,यहां तक कि,इस सूबे में एक मेयर भी है। वो ये बात कहें तो समझ आता है,तुम्हारी क्या हैसियत है,एक प्रदेश संभाला नहीं जाता। एक के पीछे एक दो चुनाव हार चुके। घटक दल दामन बचा रहे हैं,घर में सिर फुटव्वल अलग। अपने क़द्दावर नेता,और उसके पुत्र की विधायकी तुमसे बचाई न गई,और ख़्वाब इतने ऊंचे! सुना है 14 अप्रैल को इनके मुखिया बाबा साहेब की जन्मस्थली का दौरा करेंगे। पिछले कुछ वर्षों में बाबा साहेब कुछ ज़्यादा ही प्रासंगिक हो गए हैं। हर दल उनसे रिश्ता निभाने का दावा का रहा है,और इसके समांतर आदिवासियों,व दलितों की कुटाई भी जारी है।